नये कीर्तिमान के साथ कल सीएम शिवराज के मंत्रीमंडल का गठन
भोपाल।
चौथी बार मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री का गौरव हासिल करने वाले शिवराज सिंह चौहान कल दोपहर 12:00 बजे अपने मंत्रीमंडल का गठन करने जा रहे हैं। वन मैन आर्मी के तौर पर बिना कैबिनेट के राज्य चलाने वाला रिकार्ड भी शिवराज सिंह चौहान ने अपने नाम कर लिया है। इसके पहले कर्नाटक के मुख्यमंत्री यदुरप्पा ने बिना मंत्रीमंडल के रहते 24 दिनों तक राज्य का संचालन किया है। वहीं कल शिवराज के 28वां दिन है, जिस दिन पहला कैबिनेट विस्तार होने जा रहा है। वे कोरोना संक्रमण को निपटाने के लिए दिनरात एक करने में लगे रहे। वहीं केंद्रीय संगठन से स्वीकृति नहीं आने के कारण मंत्रीमंडल का गठन रुका हुआ था। केंद्र से स्वीकृति मिलने के बाद अब शिवराज सिंह चौहान अपने मंत्रीमंडल का गठन करने जा रहे हैं। इसमें सबसे पहले आधा दर्जन विधायकों को मंत्रीमंडल में स्थान दिया जाएगा। इसमें कांग्रेस से सरकार को छीनकर लाने वाले नरोत्तम मिश्रा और उनको पूरा सहयोग देने वाले गोपाल भार्गव को स्थान दिया जाएगा। कमल पटेल, मीना सिंह के बाद कांग्रेस का हाथ छोड़कर कलम का फूल थामने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया के खेमे के सबसे होनहार विधायक गोविंद सिंह राजपूत और तुलसी सिलावट को शामिल किया जा रहा है। उनके साथ दो और विधायकों को कैबिनेट में शामिल किया जा रहा है। ये फैसला कल सुबह आठ बजे तक हो जाएगा।
कुछ विधायकों को खबर तक नहीं
Ñकल मुख्यमंत्री चौहान के मंत्री मंडल को गठन होने जा रहा है। इसकी सूचना बागी विधायक तो ठीक भाजपा के विधायकों तक को नहीं हैं। उन्होंने पंचकों का हवाला देकर कल होने वाले मंत्रीमंडल के गठन को झूठला दिया है।
लाकडाउन के बाद विस्तार
कल मंत्रीमंडल का गठन होने के बाद मुख्यमंत्री चौहान कोरोना संक्रमण से निपटने की रणनीति तैयार करेंगे। तीन मई को लाकडाउन खत्म होने के बाद मंत्री मंडल का विस्तार किया जाएगा। इसके जहां कैबिनेट में विधायकों को शामिल किया जाएगा। वहीं कुछ विधायकों के राज्यमंत्री का दर्जा तक दिया जाएगा।
छह माह में साबित करना होगी सदस्यता
कांग्रेस सरकार से बगावत करने वाले विधायकों ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। कांग्रेस सरकार ने उनको विधानसभा सदस्यता निरस्त कर दी थी। कल गठित होने वाले मंत्रीमंडल में सुरखी विधायक रहे गोविंद सिंह राजपूत और सांवरे के पूर्व विधायक तुलसी सिलावट को स्थान दिया जा रहा है। मंत्री पद की शपथ लेने के बाद उन्हें छह माह में विधानसभा की सदस्यता लेने के लिए विधानसभा उपचुनाव में निर्वाचन हासिल करना होगा।
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